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NIGHT WALKERS.

मैं कहां हूं...

जॉन कार्टर अपने मध्य-तीस के दशक का एक हट्टा-कट्टा और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति है, जिसके पास मजबूत कद-काठी और गहरी नीली आंखें हैं जो दृढ़ संकल्प और लचीलेपन की भावना को दर्शाती हैं। वह कम बोलने वाले व्यक्ति हैं, बेकार की बक-बक के बजाय कार्रवाई को प्राथमिकता देते हैं और कठिन परिस्थितियों में अपनी त्वरित सोच और कुशलता के लिए जाने जाते हैं। 

एक अनजान देश में खुद को एक अजीब और खतरनाक स्थिति में पाने के बाद, जॉन कार्टर के सिर में घाव हो गया, जिससे वह भ्रमित हो गया और स्मृति हानि से पीड़ित हो गया। अपनी चोटों के बावजूद, वह दर्द और भ्रम से उबरने में कामयाब रहा, यह पता लगाने के लिए कि वह कौन है और ऐसी सुनसान जगह पर क्या कर रहा था। 

जैसे ही वह पहाड़ों से घिरे एक शांत और निर्जन शहर पर ठोकर खाता है, जॉन कार्टर की प्रवृत्ति तेज हो जाती है क्योंकि वह अपने अतीत के रहस्य को जानने की कोशिश में अपनी स्मृति के टुकड़ों को एक साथ जोड़ना शुरू कर देता है। एक दृढ़ संकल्प और दृढ़ निश्चय के साथ, वह आत्म-खोज की यात्रा पर निकलता है, अपनी पहचान और उन घटनाओं के बारे में सच्चाई को उजागर करने के लिए दृढ़ संकल्पित होता है जो उसे इस अलग और डरावने शहर में ले गईं। 

जॉन कार्टर की यात्रा खतरे और अनिश्चितता से भरी है, लेकिन उनका अटूट साहस और लचीलापन उन्हें आगे बढ़ाता है, उन्हें उन उत्तरों की ओर प्रेरित करता है जो वह चाहता है। प्रत्येक कदम के साथ, वह अपने अतीत के रहस्यों को खोलने और अपनी खोई हुई यादों को पुनः प्राप्त करने के करीब पहुंचता है, अनिश्चितता की छाया से बाहर निकलने और अपनी असली पहचान को पुनः प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित होता है। 

तो आईए अब कहानी की ओर बढ़ते हैं।

" आ ss ह... ओ ss ह... मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा है, आ ss ह... लगता है कि जैसे किसी ने हथौड़ा मार दिया हो... आ ss ह, मेरे सिर से तो ख़ून बह रहा है... उ ss फ्फ आख़िर मुझे ये चोट लगी कैसे, मुझे तो कुछ भी याद नहीं आ रहा है, हुआ क्या था और मैं इस अवस्था में कैसे पहुंचा... शुक्र है की मुझे मेरी कोट के जेब से बहार की ओर एक रुमाल दिख रहा है, इसी से अपना सिर बांध लेता हूं... कम से कम ख़ून का बहाव कम हो जाएगा," कार्टर सिर के दर्द से कहराते हुए होश में आते ही ख़ुद से बातें करता है और फ़िर अपनी जेब से रूमाल निकालकर सिर की गहरी चोट को ढक लेता है। 

" मेरी समझ में ये नहीं आ रहा है कि आख़िर मैं यहां तक पहुंचा कैसे और ये कौन सी जगह है... आस पास तो पहाड़ी दिखाई पड़ रही है, पर मैं कहां हूं ये मुझे कैसे पता चलेगा... दूर दूर तक सूरज की तेज़ रौशनी में भी मुझे कोई नज़र नहीं आ रहा है, जिससे मैं ये पूछ सकूं कि मैं कहां हूं... आख़िर मैं यहां तक पहुंचा कैसे, मुझे कुछ याद क्यूं नहीं आ रहा है कि मैं यहां तक कैसे पहुंचा," कार्टर ने अपने सिर से बहते लहू की तेज़ धार ज़ख्म के ऊपर रूमाल बांध अपने चारों ओर देख ख़ुद से बातें करते हुए कहा। कार्टर की समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ किया हुआ है, आख़िर उसके सिर पर गहरा ज़ख़्म कैसे लगा और वो इस अनजान जगह पर किया कर रहा है... कार्टर ख़ुद को भूल भूलइया में उलझा हुआ सा महसूस करने लगा। उसके सिर पर लगे गहरे ज़ख़्म के कारण वो एैसे दौर से गुज़र रहा था, जिससे शायद ही कोई गुजरना मांगे। कार्टर कुछ देर बाद खड़ा होता है और लड़खड़ाते हुए कदमों से अागे बढ़ने लगता है, बस कुछ क़दम खड़खड़ाने के बाद वो बिलकुल सीधे चलने लगता है। 

" पता नहीं कि मैं सही दिशा की ओर बढ़ रहा हूं या नहीं, पर जो भी हो मुझे आस पास के इलाकों को अच्छी तरह से देखना पड़ेगा, तब जाकर पता चलेगा कि मैं कहां हूं... हो सकता है कि यहां कहीं इन्सानों की बस्ती हो आसपास, अगर ऐसा हुआ तो मुझे मदद मिल जाएगी यहां से बाहर निकलने में... आख़िर मुझे इतनी गहरी चोट लगी कैसे जिससे मेरी याददाश्त चली गई, काश मुझे कुछ याद आ सकता तो फ़िर यूं पहेली बनकर न रह जाता," कार्टर ने अपना सफ़र जारी रख ख़ुद से बातें करते हुए कहा और फिर मायूसी में सिर झुकाकर अागे बढ़ने लगा। 

" अब तो चलते चलते मैं काफ़ी दूर तक निकल आया हूं, पर मुझे आसपास इन्सानों के रहने का कोई सबूत नहीं मिला, लगता है कि मैं शायद ग़लत दिशा में आगे बढ़ रहा हूं, थोड़ी दूर और देख लेता हूं अागे बढ़ कर .... हो सकता है कि मेरे हाथों सफलता लगे और मैं इन्सानों की बस्ती देखने में कामयाब हो जाऊं," कार्टर काफ़ी देर तक चलते चलते थक गया और उसका सब्र जवाब देने लगा, पर फ़िर भी कार्टर ने हिम्मत नहीं हारी और कुछ दूरी तक यूं ही चलते हुए आगे बढ़ कर देखना का फ़ैसला लेते हुए ख़ुद से कहा। पहाड़ियों के उन वीरान इलाकों में दूर दूर तक कोई नज़र नहीं आ रहा था, ऐसे में कार्टर के दिल की धड़कनें भी बढ़ने लगी, क्यूंकि एक अनजान खौफ ने उन पर अपना काबू पा लिया था... जिसे कार्टर ने पहली बार महसूस किया था अपने जीवन में, पर फ़िर भी कार्टर अपने आत्मविश्वास के साथ अागे बढ़ता चला जाता है।

वक़्त बीतते देर नहीं लगती है और कार्टर भी काफ़ी दूर तक का सफर तय कर लेता है... पर फ़िर भी उसे इन्सानों के होने का कोई सबूत नहीं मिलता है, कार्टर की हिम्मत अब टूटने लगती है और वह काफ़ी थका हुआ सा महसूस करने लगता है। 

" पता नहीं मैं कहां हूं और ये कौन सी जगह है... आ ss ह, अगर सिर पर ये गहरी चोट न लगी होती तो शायद मुझे सब कुछ याद आ जाता, पर कमबख्त कुछ याद आने का नाम ही नहीं ले रहा है... क्या करूं, कहां जाऊं कुछ समझ  में नहीं आ रहा है... काश मुझे कुछ याद आ जाता तो यूं भूली बिसरी यादें बनकर न रह जाता," कार्टर ने अपनी मंज़िल की अागे बढ़ते हुए ख़ुद से बातें करते हुए कहा । कार्टर अब भी सकारात्मक सोच रखते हुए आगे बढ़ा चला जा रहा था, शायद इस उम्मीद में कि वह इन्सानों की बस्ती ढूंढने में कामयाब हो जायेगा।

" अगर मेरा किसी के साथ कोई झगड़ा हुआ है, जिस वजह से ये चोट लगी है, ये भी मुझे याद नहीं आ रहा है... ये तो बड़ी अजीब सी बात है कि मुझे कुछ भी याद नहीं आ रहा है, कहीं मेरी याददाश्त तो नहीं चली गई... अगर ऐसा होगा तो बहुत दिक्कत हो जाएंगी," कार्टर ने अपने मन में विचार करते हुए ख़ुद से कहा और फिर धीरे धीरे अागे बढ़ने लगा। कार्टर भले ही चलते चलते काफ़ी थक चुका था, पर उसने फिर भी हिम्मत नहीं हारी थी और न ही अपनी दिशा बदली। अपने मन की सुनता हुआ कार्टर सीधा अागे बढ़ा चला जाता है... एक ओर जहां कार्टर अपने सिर की चोट के गहरे ज़ख़्म की वजह से दर्दनाक स्थिति से गुज़र रहा था, तो वहीं दूसरी ओर कार्टर उस भूल भूलईया जैसे नए स्थान की वजह से और भी अधिक डरा हुआ सा महसूस करने लगा। 

" उ ss फ्फ, आख़िर मैं ये कैसी परिस्थिति का सामना कर रहा हूं, आख़िर ऐसा मैंने क्या किया था जो मुझे ऐसे दिन देखने पड़ गए... क्या मैं इतना बुरा इन्सान था, जो इस क़िस्म की नफरत का हकदार बन गया और भूल भूलईया में भटकने के लिए छोड़ दिया गया... काश मुझे कुछ याद आ सकता, आ ss ह... जब जब पिछली यादों को दोहराने की कोशिश करता हूं तो सिर में ज़ोर का दर्द उठने लगता है... इस वीरान पहाड़ी के इलाकों में अजीब सा सन्नाटा फ़ैला हुआ है, अब तक किसी भी पशु पक्षी की आवाज़ सुनाई नहीं पड़ी ... ये काफ़ी अजीब सी बात है, अब तो मैं चलते चलते काफ़ी दूर तक निकल आया हूं... अ ss रे, व ss व ss वो क्या है... मुझे मेरी आंखों पर यक़ीन नहीं हो रहा है कि मैं अपनी आंखों से पहाड़ी के ऊपर , इन्सानों की बसी हुई बस्ती देख रहा हूं ... आख़िर मैं सफल हो ही गया," कार्टर काफ़ी देर तक चलते हुए बिलकुल थक चुका था और नए इलाके के अनजान डर ने उसके ऊपर अपना रंग चढ़ा लिया था कि तभी अचानक उसे अपनी आंखों के सामने इन्सानों की बसी हुई बस्ती दिखाई पड़ती है, जिसे देख कार्टर के हाव भाव बिलकुल बदल गए और चिन्ता की लकीरें मिट गईं तथा चेहरे पर जीत की मुस्कान उभर आई। 
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.

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1 Comments

Reena yadav

14-May-2024 11:13 PM

बेहतरीन शुरुआत....👍👍

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